भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)

केन्द्रीय कमेटी

प्रेस विज्ञप्ति

13 जून 2011

 

भारतीय क्रांति के वरिष्ठ नेता और उत्पीड़ित जनता के प्यारे नेता

कॉमरेड जगदीश मास्टर उर्फ भूपेश जी को बिना शर्त रिहा करो!

कॉमरेड जगदीश मास्टर की गिरफ्तारी और क्रांतिकारी आंदोलन पर

शोषक वर्गों द्वारा जारी फासीवादी दमन के खिलाफ

23 जून कोभारत बंदसफल बनाओ!!

 

बिहार की शोषित जनता के बीच कॉमरेडजगदीश मास्टरके नाम से लोकप्रिय, भाकपा (माओवादी) के पोलिटब्यूरो सदस्य और पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक कॉमरेड भूपेश जी को 11 जून को पुलिस ने बिहार के गया जिले के गुरार से गिरफ्तार किया। 72 साल के वयोवृद्ध और करीब दस सालों से गंभीर अस्वस्थता से जूझते हुए भी जनता के बीच, जन संघर्षों को अपनी सांस बनाकर काम कर रहे कॉमरेड भूपेश जी को सादे कपड़ों में आए बिहार केन्द्रीय फासीवादी खुफिया गुण्डों ने उस समय उठा लिया जब वे इलाज के सिलसिले में जा रहे थे। अपने ही संविधान कानून का, जिसका पालन करने का वे दावा करते नहीं थकते, घोर उल्लंघन करते हए उन्होंने कॉमरेड भूपेश जी को 24 घण्टे बीत जाने पर भी अदालत में पेश करके उन्हें तरह-तरह की यातनाओं और प्रताड़नाओं का शिकार बनाया।

पार्टी कतारों मेंकॉमरेड भूपेशके नाम से सुविख्यात कॉमरेड जगदीश मास्टर पिछले चार दशकों से क्रांतिकारी आंदोलन के निर्माण के लिए अथक प्रयास करने वाले एक महत्वपूर्ण नेता हैं। जब वे शिक्षक की नौकरी कर रहे थे तब उनका परिचय भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के महान नेताओं में से एक शहीद कॉमरेड कन्नाई चटर्जी के साथ हुआ था। उनकी प्रेरणा से वे क्रांतिकारी राजनीति में गए और 1970 के दशक के शुरूआती दौर से उन्होंने पेशेवर क्रांतिकारी के रूप में काम करना शुरू किया। सामंती शोषण और उत्पीड़ित जातियों के लोगों पर अगड़ी जातियों की सामंती सेनाओं के बर्बर हमलों के लिए बदनाम बिहार में उन्होंने शोषित जनता के जुझारू नेता बनकर कई जन संघर्षों का नेतृत्व किया। अब इस गिरफ्तारी से नव सामंत नीतिशकुमार और सोनिया-मनमोहनसिंह-चिदम्बरम गिरोह यह मंशा जाहिर कर रहे हैं कि वे बिहार के किसान समुदायों को फिर से अंधकार में ले जाना चाहते हैं। जमींदारों से हजारों एकड़ जमीन जब्त कर भूमिहीन गरीब किसानों में बांटने तथा उन पर होने वाले सामाजिक उत्पीड़न का मुकाबला कर आत्मसम्मान के साथ सिर उठाकर जीने की स्थिति निर्मित करने में कॉमरेड भूपेश जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। अपनी वृद्धावस्था और बुरी तरह बिगड़ते स्वास्थ्य की परवाह किए बिना, दुश्मन के हाथों पड़ने तक जनता के बीच ही रहकर जनता, काडरों और नई पीढ़ियों में प्रेरणा और उत्साह का संचार करने वाले कॉमरेड भूपेश जी की गिरफ्तारी एक बड़ा सद्मा है।

देश के शासक वर्ग माओवादी क्रांतिकारी आंदोलन को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हुए उसका नेतृत्व कर रहे केन्द्रीय राज्य स्तर के नेताओं को गिरफ्तार करना, मुठभेड़ के नाम से गोली मार देना जैसी करतूतों पर उतारू हैं। खासकर पिछले दो सालों से जारीऑपरेशन ग्रीन हंटके नाम से जारी देशव्यापी हमले के अंतर्गत एक तरफ महत्वपूर्ण नेताओं को निशाने पर लेकर उन पर वार करते हुए ही दूसरी तरफ आंदोलन के इलाकों में फासीवादी दमनचक्र चला रहे हैं। मुठभेड़ों के नाम से निहत्थे लोगों की अंधधाधुंध हत्याएं करना, गांवों को जलाना, महिलाओं पर अत्याचार, सम्पत्तियों को तबाह करना, लूटपाट, मारपीट, झूठे मामलों में फंसाकर सालों साल बिना सुनवाई या जमानत के जेलों में सड़ाना आदि मध्ययुगीन क्रूरतापूर्ण दमनात्मक तरीकों और नात्सी किस्म के फासीवादी स्वरूपों में यह हमला - ऑपरेशन ग्रीन हंट - चलाया जा रहा है। छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, बंगाल, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के वे हिस्से जहां क्रांतिकारी आंदोलन चल रहा है, पुलिस अर्धसैनिक बलों के लौह जूतों तले रौंदे जा रहे हैं।

जनवरी 2011 से जारी ऑपरेशन ग्रीनहंट के कथित दूसरे चरण में सरकारें एक ओर गांवों और जनता पर भीभत्सपूर्ण हमले करते हुए ही दूसरी ओर वे इस हमले के खिलाफ अपनी आवाज उठाने वाले लेखकों, कलाकारों, जनवादियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का गला घोंटने के लिए चरम फासीवादी हमलों पर उतारू हैं। छत्तीसगढ़ में जन डॉक्टर व मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर बिनायक सेन को आजीवन कारावास की सजा देना; चिंतलनार क्षेत्र में सरकारी बलों द्वारा मचाए गए बर्बरतापूर्ण कार्रवाइयों का प्रत्यक्ष जायजा लेने के लिए जा रहे स्वामी अग्निवेश आदि लोगों पर हमले; पीयूसीएल पर प्रतिबंध लगाने की धमकियां; लेखकों और पत्रकारों पर झूठे केस दायर करना व हमले करना; ओड़िशा में कॉर्पोरेट कम्पनियों द्वारा जारी जबरिया जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलनरत जनता पर दमनचक्र; मुठभेड़ के नाम पर खदान-विरोधी कार्यकर्ताओं को गोली मार देना; बिहार में जनता पर गोलीबारी व हत्याएं; झारखण्ड में बेजा कब्जा हटाने के नाम पर जनता को विस्थापित करने वाले सरकारी फैसलों का विरोध करने वाली जनता पर गोलीबारी व जुल्म; पंजाब में पत्रिका सम्पादक व जन संगठन कार्यकर्ता हरविंदरसिंह जलाल की गिरफ्तारी और यातनाएं; उत्तरप्रदेश में शासक वर्गों के ‘विकास’ के ढोंगी नमूने का विरोध करने पर किसानों का दमन; महाराष्ट्र में दलित आंदोलन का कार्यकर्ता व पत्रिका सम्पादक सुधीर धवळे को राजद्रोह के मामले में गिरफतार करना; आंध्रप्रदेश में पृथक तेलंगाना आंदोलन पर विभिन्न तरीकों में जारी दमनचक्र आदि इसके कुछ उदाहरण भर हैं।

देश की सम्पदाओं को साम्राज्यवादियों दलाल पूंजीपतियों की कॉर्पोरेट कम्पनियों के हवाले करने पर तुले हुए भारत के शासक वर्गों ने इस राह में सबसे बड़ी बाधा के रूप में खड़े माओवादी आंदोलन का जड़ से उन्मूलन करने के इरादे से जारी इस अन्यायपूर्ण युद्ध में अब सेना को उतार दिया है। फिलहाल छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सैन्य बलों कोप्रशिक्षणके नाम पर मैदान में उतरा जा चुका है। कथित रूप से देश की सीमाओं पर शत्रु सेनाओं के खिलाफ लड़ने के लिए निर्मित भारतीय सेना को अब देश के बीचोबीच देश की जनता के खिलाफ जारी युद्ध में झोंक दिया जा रहा है। सैन्य बलों के प्रशिक्षण के नाम पर बस्तर के माड़ इलाके में 750 वर्ग किलोमीटर जमीन देने वाले रमनसिंह सरकार के फैसले से माड़ क्षेत्र का पांचवां हिस्सा हड़प लिया जाएगा। दूसरी ओर कॉर्पोरेट कम्पनियां हजारों एकड़ जमीनों को निगलने वाली परियोजनाओं के साथ आगे रही हैं। इस तरह क्रांतिकारी आंदोलन के इलाकों में जनता को बलपूर्वक विस्थापित करने वाली साजिशें बड़े पैमाने पर जारी हैं।

एक ओर देश में अंधधाधुंध भ्रष्टाचार-घोटालों में लिप्त कांग्रेस, भाजपा समेत सभी शासक वर्गीय पार्टियों के अनैतिक नेता, कॉर्पोरेट डकैत और बड़े अधिकारी हजारों, लाखों करोड़ रुपए डकारकर देश की जनता के गुस्से नफरत का शिकार हो रहे हैं। महंगाई, भुखमरी, अकाल, महम्मारी, विस्थापन, संसाधनों का दोहन आदि समस्याओं से देश की करोड़ों जनता दो-चार है। जनता की एक भी बुनियादी समस्या का हल करने वाली सरकारें जायज जन आंदोलनों को कुचलने के लक्ष्य से फासीवादी दमन हत्याकाण्डों पर उतारू हैं। वहीं जनता के लिए निःस्वार्थ, समर्पित अविराम परिश्रम करने वाले क्रांतिकारी नेताओं को जेलों में ठूंस रही हैं और उनकी हत्याएं कर रही हैं। कॉमरेड भूपेश जी की गिरफ्तारी इसी सिलसिले का हिस्सा है।

भाकपा (माओवादी) की केन्द्रीय कमेटी देशवासियों का आह्वान करती है कि कॉमरेड भूपेश जी की गिरफ्तारी के खिलाफ तथा क्रांतिकारी आंदोलन पर जारी शासक वर्गों के फासीवादी दमनचक्र के खिलाफ 23 जून को 24 घण्टों का ‘भारत बंद’ सफल बनाया जाए। यह बंद मुख्य रूप से छह राज्यों - झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र के तीन जिलों - गढ़चिरौली, चंद्रपुर व गोंदिया जिलों, उत्तरप्रदेश के बिहार की सीमा से लगे हुए जिलों तथा मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में आयोजित होगा। अन्य राज्यों में विभिन्न रूपों में विरोध कार्यक्रम होंगे। चिकित्सा सेवाओं जैसी आवश्यक सेवाओं, छात्रों की परीक्षाओं और साक्षात्कार आदि को हम बंद से मुक्त रखेंगे।

 

(अभय)

प्रवक्ता

केन्द्रीय कमेटी

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